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HomeNarayanOm Jai Jagdish Hare ॥ ॐ जय जगदीश हरे आरती

Om Jai Jagdish Hare ॥ ॐ जय जगदीश हरे आरती

Om Jai Jagdish Hare आरती हिंदू धर्म में बहुत प्रसिद्ध और शक्तिशाली मानी जाती है। यह आरती भगवान विष्णु की महिमा का गुणगान करती है और जब इसे श्रद्धा और भक्ति से गाया जाता है, तो यह भक्तों के मन में शांति, भक्ति और सकारात्मक ऊर्जा भर देती है। यह आरती मंदिरों, घरों और धार्मिक आयोजनों में नियमित रूप से गाई जाती है।

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे ।

भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट क्षण में दूर करे ॥

ॐ जय जगदीश हरे…

जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का, स्वामी दुःख विनसे मन का ।

सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का ॥

ॐ जय जगदीश हरे…

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी, स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी ।

तुम  बिन और न दूजा, प्रभु बिन और न दूजा आस करूँ मैं जिसकी ॥

ॐ जय जगदीश हरे…

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी, स्वामी तुम अन्तर्यामी ।

पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी ॥

ॐ जय जगदीश हरे…

तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता, स्वामी तुम पालन-कर्ता ।

मैं मूरख खल कामी, मैं सेवक तुम स्वामी, कृपा करो भर्ता॥

ॐ जय जगदीश हरे…

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति, स्वामी सबके प्राणपति ।

किस विधि मिलूँ दयामय , तुमको मैं कुमति ॥

ॐ जय जगदीश हरे…

दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे, स्वामी तुम रक्षक मेरे ।

अपने हाथ उठा‌ओ, अपनी शरण लगाओ, द्वार पड़ा मैं तेरे ॥

ॐ जय जगदीश हरे…

विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा, स्वामी कष्ट हरो देवा ।

श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, श्रद्धा-प्रेम बढ़ा‌ओ, सन्तन की सेवा ॥

ॐ जय जगदीश हरे…

तन मन धन सब है तेरा, स्वामी सब कुछ है तेरा ।

तेरा तुझको अर्पण, क्या लागे मेरा ॥

ॐ जय जगदीश हरे…

श्री जगदीश जी की आरती, जो कोई नर गावे, स्वामी जो कोई जन गावे ।

कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे ॥

ॐ जय जगदीश हरे…

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे ।

भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे ॥

ॐ जय जगदीश हरे ।

Lakshmi Narayan 4

Om Jai Jagdish Hare आरती का परिचय

“ॐ जय जगदीश हरे” आरती मुख्य रूप से भगवान विष्णु की स्तुति है, लेकिन इसे सभी देवताओं की आरती के रूप में भी गाया जाता है। इस आरती में भगवान के अनंत गुणों और उनकी करुणा का वर्णन किया गया है।

इस आरती की विशेषता यह है कि यह सरल शब्दों में भगवान की महिमा का बखान करती है और इसे कोई भी आसानी से याद कर सकता है। इसलिए इसे हिंदू धर्म में सबसे ज्यादा गाई जाने वाली आरती माना जाता है।

आरती के बोल और उनका अर्थ

जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे। भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥”

इस आरती में भगवान की महिमा का वर्णन किया गया है कि वे अपने भक्तों के सभी दुखों और परेशानियों को दूर करते हैं। जब भी कोई भक्त श्रद्धा से भगवान का स्मरण करता है, तो वे तुरंत उसकी सहायता के लिए आते हैं।

जय जगदीश हरे आरती के लाभ

  1. मन की शांति प्राप्त होती है – इस आरती को गाने या सुनने से मानसिक तनाव कम होता है और मन को सुकून मिलता है।
  2. नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है – जब घर में यह आरती होती है, तो वहां की नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है।
  3. परिवार में प्रेम और सौहार्द बना रहता है – यह आरती परिवार में एकता और प्रेम को बढ़ाती है।
  4. आध्यात्मिक विकास होता है – जो व्यक्ति नियमित रूप से यह आरती गाता है, उसका भगवान में विश्वास और भक्ति बढ़ती है।
  5. कार्य में सफलता मिलती है – भगवान विष्णु की कृपा से भक्तों के कार्यों में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती हैं।

आरती करने का सही तरीका

  1. शुद्ध वातावरण में करें – आरती करने से पहले पूजा स्थल को साफ कर लें।
  2. घी या तेल का दीपक जलाएं – इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  3. भक्ति भाव से करें – आरती को केवल गाने के लिए न गाएं, बल्कि पूरे मन से भक्ति के साथ गाएं।
  4. धूप और अगरबत्ती जलाएं – इससे वातावरण और भी पवित्र बनता है।
  5. आरती के बाद प्रसाद वितरित करें – इससे सकारात्मकता और आनंद का अनुभव होता है।

आरती का वैज्ञानिक महत्व

वैज्ञानिक दृष्टि से भी यह आरती लाभदायक है। जब हम इसे गाते हैं, तो ध्वनि तरंगें उत्पन्न होती हैं, जो हमारे मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव डालती हैं। इससे तनाव कम होता है और मानसिक शांति मिलती है। इसके अलावा, आरती के समय जलाए गए दीपक और धूप से वातावरण कीटाणु मुक्त हो जाता है।

कब और कहाँ करनी चाहिए?

  1. प्रतिदिन सुबह और शाम – यह आरती सुबह और शाम करने से दिनभर सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
  2. त्योहारों और विशेष अवसरों पर – विशेष रूप से जन्माष्टमी, राम नवमी, दीपावली और अन्य धार्मिक अवसरों पर इस आरती का विशेष महत्व होता है।
  3. घर और मंदिरों में – यह आरती घर में भी की जा सकती है और मंदिरों में भी।

आरती करने के दौरान ध्यान देने योग्य बातें

  1. शुद्धता और पवित्रता बनाए रखें।
  2. भगवान की मूर्ति या चित्र के सामने करें।
  3. आरती के बाद भक्तों में प्रसाद बाँटें।

“ॐ जय जगदीश हरे” आरती केवल एक भक्ति गीत नहीं, बल्कि भगवान के प्रति प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। यह आरती न केवल हमारे मन और आत्मा को शुद्ध करती है, बल्कि हमारे जीवन में सुख-शांति और समृद्धि भी लाती है। इस आरती को अगर हम अपने जीवन का नियमित हिस्सा बना लें, तो नकारात्मकता दूर होगी और हर कार्य में सफलता प्राप्त होगी।

इसलिए, हमें प्रतिदिन इस आरती को गाना चाहिए और भगवान की कृपा प्राप्त करनी चाहिए।

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