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Navgrah Stotram ॥ नवग्रह स्तोत्रम्

Navgrah स्तोत्रम् एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है, जो नवग्रहों की कृपा प्राप्त करने के लिए पाठ किया जाता है। नवग्रहों का प्रभाव हमारे जीवन के प्रत्येक पहलू पर पड़ता है, चाहे वह स्वास्थ्य हो, धन-संपत्ति हो या वैवाहिक जीवन। इस लेख में, हम नवग्रह स्तोत्रम् के महत्व, इतिहास, श्लोकों के अर्थ, लाभ एवं दैनिक पाठ की विधि पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

रविः

जपाकुसुम सङ्काशं काश्यपेयं महाद्युतिम् |
तमोऽरिं सर्व पापघ्नं प्रणतोस्मि दिवाकरम्

चन्द्रः

दधिशङ्खतुषाराभं क्षीरोदार्णवसम्भवम् |
नमामि शशिनं सोमं शम्भोर्मुकुटभूषणम्

मंगलः

धरणी गर्भ सम्भूतं विद्युत्कान्ति समप्रभम् |
कुमारं शक्तिहस्तं तं मङ्गळं प्रणमाम्यहम्

बुधः

प्रियङ्गुकलिकाश्यामं रूपेणाप्रतिमं बुधम् |
सौम्यं सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम्

गुरुः

देवानां ऋषीणां गुरुं काञ्चनसन्निभम् |
बुद्धिमन्तं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्

शुक्रः

हिमकुन्द मृणाळाभं दैत्यानं परमं गुरुम् |
सर्वशास्त्र प्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम्

शनिः

नीलाञ्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम् |
छाया मार्ताण्ड सम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्

राहुः

अर्धकायं महावीरं चन्द्रादित्य विमर्धनम् |
सिंहिका गर्भ सम्भूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम्

केतुः

पलाश पुष्प सङ्काशं तारकाग्रहमस्तकम् |
रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम्

इति व्यास मुखोद्गीतं यः पठेत्सु समाहितः |
दिवा वा यदि वा रात्रौ विघ्नशान्तिर्भविष्यति

नरनारीनृपाणां भवेद्दुःस्वप्ननाशनम् |
ऐश्वर्यमतुलं तेषामारोग्यं पुष्टि वर्धनम्

ग्रहनक्षत्रजाः पीडास्तस्कराग्नि समुद्भवाः |
तास्सर्वाः प्रशमं यान्ति व्यासो ब्रूते संशयः

इति व्यास विरचितं नवग्रह स्तोत्रं सम्पूर्णम् |

Navgrah का महत्व

1. सूर्य (Surya)

सूर्य को हिंदू धर्म में जीवनदाता और आत्मा के प्रतीक के रूप में माना जाता है। यह ग्रह ऊर्जा, स्वास्थ्य, शक्ति एवं स्वाभाविक उजाला प्रदान करता है। सूर्य के प्रभाव से व्यक्ति में आत्मविश्वास बढ़ता है और कार्यों में सफलता मिलती है।

2. चंद्र (Chandra)

चंद्र ग्रह भावनाओं, मनोस्थिति एवं मानसिक शांति का प्रतीक है। इसकी कृपा से मन में स्थिरता आती है, जिससे व्यक्ति तनाव और चिंता से मुक्त हो जाता है। चंद्रमा का सकारात्मक प्रभाव परिवारिक जीवन और रिश्तों में मधुरता लाता है।

3. मंगल (Mangala)

मंगल ग्रह ऊर्जा, साहस, पराक्रम एवं आत्मबल का द्योतक है। यह ग्रह व्यक्ति में क्रियाशीलता बढ़ाता है और चुनौतियों का सामना करने की शक्ति प्रदान करता है। मंगल का आशीर्वाद लेने से व्यक्ति के कार्यों में गति आती है।

4. बुध (Budh)

बुध ग्रह बुद्धि, वाणी और संवाद क्षमता का प्रतिनिधित्व करता है। यह ग्रह व्यक्ति के ज्ञान, अनुसंधान एवं व्यापारिक निर्णयों में सहायता करता है। बुध की कृपा से व्यक्ति में तर्कशक्ति एवं रचनात्मकता विकसित होती है।

5. बृहस्पति (Brihaspati)

बृहस्पति देवताओं के गुरु एवं ज्ञान के स्रोत माने जाते हैं। यह ग्रह नैतिकता, धर्म एवं आध्यात्मिकता का संदेश देता है। बृहस्पति का आशीर्वाद लेने से व्यक्ति में शिक्षा, नैतिकता एवं आर्थिक समृद्धि आती है।

6. शुक्र (Shukra)

शुक्र ग्रह भौतिक सुख, प्रेम, कला एवं सौंदर्य का प्रतीक है। यह ग्रह विवाह, संबंधों एवं रचनात्मक कार्यों में सफलता लाता है। शुक्र की कृपा से व्यक्ति का जीवन प्रेम और आनंद से भर जाता है।

7. शनि (Shani)

शनि ग्रह कर्म फल देने वाला होता है। यह ग्रह व्यक्ति के जीवन में अनुशासन एवं नियमन स्थापित करता है। शनि का आशीर्वाद लेने से व्यक्ति में संघर्षों का सामना करने की शक्ति विकसित होती है, साथ ही यह नकारात्मक ऊर्जा को भी दूर करता है।

8. राहु (Rahu)

राहु एक मायावी ग्रह है जो छल-कपट, मानसिक भ्रम एवं अस्थिरता का प्रतिनिधित्व करता है। लेकिन राहु का सही प्रभाव लेने से व्यक्ति में रहस्यमयी विद्या एवं अप्रत्याशित सफलता भी आ सकती है। राहु के दोषों का निवारण इस स्तोत्र के पाठ से होता है।

9. केतु (Ketu)

केतु आध्यात्मिकता, त्याग एवं गूढ़ ज्ञान का प्रतीक है। यह ग्रह व्यक्ति को मोक्ष, तपस्या एवं योग की ओर अग्रसर करता है। केतु के आशीर्वाद से व्यक्ति के मन में आध्यात्मिक चेतना जागृत होती है।

नवग्रह स्तोत्रम् का इतिहास एवं उत्पत्ति

पौराणिक कथाएँ और महर्षि वेदव्यास

महर्षि वेदव्यास को वैदिक ग्रंथों का रचयिता माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने नवग्रह स्तोत्रम् को देवी लक्ष्मी की कृपा से प्रेरित होकर लिखा था। इस स्तोत्र के माध्यम से ग्रहों के दोष दूर किए जाते थे और भक्तों को उनके आशीर्वाद से समृद्धि एवं मोक्ष प्राप्त होता था। पौराणिक कथाओं में उल्लेख है कि इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

स्तोत्र का साहित्यिक मूल्य

नवग्रह स्तोत्रम् न केवल धार्मिक महत्त्व का है, बल्कि इसका साहित्यिक मूल्य भी अद्वितीय है। इसमें प्रयुक्त शब्द, छंद एवं लय का संयोजन दर्शाता है कि किस प्रकार भाषा के माध्यम से दिव्य ऊर्जा का संचार संभव है। यह स्तोत्र भक्तों को न केवल ग्रह दोषों का निवारण करने का मार्गदर्शन देता है, बल्कि उनके मन, बुद्धि एवं आत्मा को भी शुद्ध करता है।

आधुनिक समय में प्रासंगिकता

आज के व्यस्त जीवन में, जहाँ आर्थिक, मानसिक एवं सामाजिक चुनौतियाँ रोजमर्रा का हिस्सा हैं, नवग्रह स्तोत्रम् का नियमित पाठ अत्यंत लाभकारी सिद्ध होता है। चाहे वह नौकरी, व्यापार, परिवार या शिक्षा से संबंधित हो – इस स्तोत्र का पाठ सभी क्षेत्रों में संतुलन एवं समृद्धि लाने में सहायक है।

नवग्रह स्तोत्रम् के श्लोक एवं उनके अर्थ

सूर्य स्तोत्र

जपाकुसुम सङ्काशं काश्यपेयं महाद्युतिम् |
तमोऽरिं सर्व पापघ्नं प्रणतोस्मि दिवाकरम्

  • अर्थ:
    • जपाकुसुम: फूलों की मधुर सुगंध समान
    • सङ्काशं: उज्जवल प्रकाश
    • काश्यपेयं: काश्यप ऋषि के समान दिव्य
    • महाद्युतिम्: अत्यंत तेजस्वी
    • तमोऽरिं: अज्ञान को दूर करने वाला
    • सर्व पापघ्नं: सभी पापों का नाश करने वाला
    • प्रणतोस्मि दिवाकरम्: मैं दिवाकर (सूर्य) को प्रणाम करता हूँ

यह श्लोक सूर्य की महिमा को वर्णित करता है और बताता है कि सूर्य का प्रकाश जीवन से अज्ञान तथा पापों का नाश कर देता है।

चंद्र स्तोत्र

दधिशङ्खतुषाराभं क्षीरोदार्णवसम्भवम् |
नमामि शशिनं सोमं शम्भोर्मुकुटभूषणम्

  • अर्थ:
    • दधिशङ्खतुषाराभं: दही, शंख और अन्य शुभ वस्तुओं से युक्त
    • क्षीरोदार्णवसम्भवम्: क्षीर (दूध) के समान निर्मल
    • नमामि शशिनं: मैं शशि (चंद्र) को नमन करता हूँ
    • सोमं: सोम (चंद्रदेव)
    • शम्भोर्मुकुटभूषणम्: शिव के मुकुट के समान शोभायमान

इस श्लोक में चंद्रमा की दिव्यता, उसकी निर्मलता और उसके शांत प्रभाव का वर्णन है।

मंगल स्तोत्र

धरणी गर्भ सम्भूतं विद्युत्कान्ति समप्रभम् |
कुमारं शक्तिहस्तं तं मंगलं प्रणमाम्यहम्

  • अर्थ:
    • धरणी गर्भ सम्भूतं: धरती के गर्भ से उत्पन्न
    • विद्युत्कान्ति समप्रभम्: विद्युत की चमक के समान
    • कुमारं: नवयुवक, ताजगी से भरपूर
    • शक्तिहस्तं: शक्ति धारण किए हुए
    • तं मंगलं: उस मंगल देव को
    • प्रणमाम्यहम्: मैं प्रणाम करता हूँ

मंगल स्तोत्र में मंगल ग्रह की ऊर्जा, शक्ति एवं साहस का बखान किया गया है।

बुध स्तोत्र

प्रियङ्गुकलिकाश्यामं रूपेणाप्रतिमं बुधम् |
सौम्यं सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम्

  • अर्थ:
    • प्रियङ्गुकलिकाश्यामं: आकर्षक और मधुर वर्ण का
    • रूपेणाप्रतिमं: अद्वितीय रूप में
    • बुधम्: बुध ग्रह
    • सौम्यं सौम्यगुणोपेतं: सौम्य गुणों से युक्त
    • तं बुधं: उस बुध को
    • प्रणमाम्यहम्: मैं प्रणाम करता हूँ

इस श्लोक में बुध की बुद्धिमत्ता, सौम्यता एवं अद्वितीयता का वर्णन है।

बृहस्पति स्तोत्र

देवानां ऋषीणां गुरुं काञ्चनसन्निभम् |
बुद्धिमन्तं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्

  • अर्थ:
    • देवानां ऋषीणां गुरुं: देवताओं और ऋषियों का गुरु
    • काञ्चनसन्निभम्: स्वर्ण के समान उज्जवल
    • बुद्धिमन्तं: बुद्धिमान
    • त्रिलोकेशं: तीन लोकों का ईश्वर
    • तं नमामि: मैं प्रणाम करता हूँ
    • बृहस्पतिम्: बृहस्पति ग्रह

यह श्लोक बृहस्पति की महिमा, ज्ञान एवं नैतिकता का प्रतीक है।

शुक्र स्तोत्र

हिमकुन्द मृणाळाभं दैत्यानां परमं गुरुम् |
सर्वशास्त्र प्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम्

  • अर्थ:
    • हिमकुन्द मृणाळाभं: हिम से निर्मित, मधुर वर्ण का
    • दैत्यानां परमं गुरुम्: दैत्यों में परम गुरु
    • सर्वशास्त्र प्रवक्तारं: सभी शास्त्रों का प्रवक्ता
    • भार्गवं: भार्गव ऋषि के समान
    • प्रणमाम्यहम्: मैं प्रणाम करता हूँ

इस श्लोक में शुक्र के शास्त्रीय और आध्यात्मिक गुणों का वर्णन है।

शनि स्तोत्र

नीलाञ्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम् |
छायामार्तण्ड सम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्

  • अर्थ:
    • नीलाञ्जन समाभासं: नील वर्ण का, अतीव प्रभावशाली
    • रविपुत्रं: सूर्य के पुत्र जैसा
    • यमाग्रजम्: यम के अग्रज, न्याय का द्योतक
    • छायामार्तण्ड सम्भूतं: छाया और अंधकार से उत्पन्न
    • तं नमामि: मैं प्रणाम करता हूँ
    • शनैश्चरम्: शनिदेव, कर्म के फल देने वाले

शनि स्तोत्र में शनि के कठोर फल, न्याय एवं अनुशासन का संदेश निहित है।

राहु स्तोत्र

अर्धकायं महावीर्यं चन्द्रादित्यविमर्दनम् |
सिंहिकागर्भसम्भूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम्

  • अर्थ:
    • अर्धकायं: आधे शरीर वाला
    • महावीर्यं: अत्यंत वीर और शक्तिशाली
    • चन्द्रादित्यविमर्दनम्: चंद्र और सूर्य का नाश करने वाला
    • सिंहिकागर्भसम्भूतं: सिंहिका (शेरनी) के गर्भ से उत्पन्न
    • तं राहुं: उस राहु को
    • प्रणमाम्यहम्: मैं प्रणाम करता हूँ

यह श्लोक राहु के गूढ़ और चुनौतीपूर्ण गुणों को दर्शाता है।

केतु स्तोत्र

पलाशपुष्पसङ्काशं तारकाग्रहमस्तकम् |
रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम्

  • अर्थ:
    • पलाशपुष्पसङ्काशं: पलाश के फूल की चमक जैसा
    • तारकाग्रहमस्तकम्: तारों के समूह जैसा
    • रौद्रं रौद्रात्मकं: अत्यंत क्रूर और शक्तिशाली
    • घोरं: भयावह
    • तं केतुं: उस केतु को
    • प्रणमाम्यहम्: मैं प्रणाम करता हूँ

इस श्लोक में केतु के रहस्यमय और आध्यात्मिक गुणों का वर्णन है।

नवग्रह स्तोत्रम् के पाठ से होने वाले लाभ

आर्थिक समृद्धि और धन वृद्धि

नियमित रूप से नवग्रह स्तोत्रम् का पाठ करने से आपके घर में धन, समृद्धि और वैभव का संचार होता है। यदि आपके जीवन में आर्थिक बाधाएँ आती हैं, तो इस स्तोत्र के पाठ से वे दूर हो सकती हैं। ग्रहों के दोषों का निवारण करके यह आपके व्यापार, निवेश एवं सम्पत्ति में वृद्धि करता है।

मानसिक शांति एवं स्वास्थ्य

इस स्तोत्र का नियमित पाठ मानसिक शांति, आत्मविश्वास एवं स्वास्थ्य में सुधार लाता है। जब आप इस स्तोत्र का उच्चारण करते हैं, तो आपके मन से तनाव, चिंता एवं अवसाद दूर हो जाते हैं। यह आपके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।

पारिवारिक सौहार्द एवं संतुलन

नवग्रह स्तोत्रम् का पाठ पारिवारिक कलह, मतभेद एवं असंतोष को दूर करता है। यह घर में प्रेम, एकता एवं सौहार्द का संचार करता है, जिससे आपके सभी पारिवारिक सदस्य सुख और संतोष का अनुभव करते हैं।

शैक्षिक एवं सामाजिक लाभ

विद्यालक्ष्मी तथा बुध के आशीर्वाद से शिक्षा, ज्ञान एवं संवाद कौशल में वृद्धि होती है। यह स्तोत्र विद्यार्थियों, अध्यापकों और व्यापारियों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है। सामाजिक स्तर पर, यह स्तोत्र लोगों में नैतिकता, सहनशीलता एवं एकता का संदेश फैलाता है।

आध्यात्मिक उन्नति एवं मोक्ष

इस स्तोत्र का नियमित पाठ आपको आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग पर अग्रसर करता है। जब आप नवग्रहों के दोषों से मुक्ति पाते हैं, तो आपकी आत्मा में शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह आपको जीवन के गूढ़ रहस्यों को समझने और आत्मिक विकास की दिशा में अग्रसर होने में सहायता करता है।

नवग्रह स्तोत्रम् का दैनिक पाठ एवं ध्यान विधि

दैनिक पाठ की महत्ता

  1. सुबह का समय:
    • प्रातःकाल स्नान के पश्चात एक शांत वातावरण में बैठकर नवग्रह स्तोत्रम् का पाठ करें।
    • यह दिन भर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और आपको सभी बाधाओं से मुक्त रखता है।
  2. विशेष अवसर:
    • दीपावली, जन्माष्टमी, और अन्य धार्मिक पर्वों पर इस स्तोत्र का विशेष पाठ करें।
    • इन अवसरों पर पाठ करने से घर में खुशहाली और समृद्धि का माहौल बनता है।
  3. नियमित अभ्यास:
    • दिन में एक बार, चाहे वह सुबह हो या शाम, इस स्तोत्र का पाठ अवश्य करें।
    • नियमित अभ्यास से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और आप अपने कार्यों में अधिक एकाग्रता प्राप्त करते हैं।

ध्यान एवं साधना

  • शांत वातावरण का चयन:
    एक ऐसा स्थान चुनें जहाँ आप बिना किसी व्यवधान के ध्यान और साधना कर सकें।
  • दीपक, अगरबत्ती एवं पुष्प:
    पाठ के दौरान वातावरण को पवित्र बनाने के लिए दीपक जलाएँ, अगरबत्ती जलाएँ एवं पुष्प अर्पित करें।
  • मन में देवी लक्ष्मी एवं ग्रहों का ध्यान:
    पाठ करते समय अपने मन में देवी लक्ष्मी और नवग्रहों के गुणों को महसूस करें। यह आपके मन में सकारात्मक ऊर्जा और आस्था को बढ़ावा देता है।

सामाजिक एवं सांस्कृतिक प्रभाव

पारंपरिक मान्यताएँ एवं आधुनिकता का संगम

भारतीय परंपरा में ग्रहों का वर्णन सदियों से मिलता आ रहा है। नवग्रह स्तोत्रम् का पाठ न केवल धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक धरोहर भी है। पारंपरिक रूप से, इसे परिवारों में एक साथ मिलकर पढ़ा जाता था जिससे सामूहिक सुख, सहयोग एवं प्रेम का संचार होता था। आधुनिक समय में भी, जब जीवन की जटिलताएँ बढ़ गई हैं, तब इस स्तोत्र का पाठ हमें उन पारंपरिक मूल्यों की याद दिलाता है और समाज में एकता एवं सामंजस्य बनाए रखने में सहायक होता है।

शिक्षा एवं नैतिक मूल्यों का प्रसार

इस स्तोत्र के माध्यम से न केवल ग्रह दोषों का निवारण होता है, बल्कि यह शिक्षा, नैतिकता एवं सकारात्मक सोच को भी प्रोत्साहित करता है। छात्र, शिक्षक और कार्यरत लोग इसे पढ़कर अपने जीवन में अनुशासन एवं सफलता के नए आयाम स्थापित कर सकते हैं। नवग्रह स्तोत्रम् का सामाजिक प्रभाव इतना व्यापक है कि यह न केवल व्यक्तिगत स्तर पर, बल्कि समाज के सामूहिक स्तर पर भी खुशहाली का संदेश देता है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण एवं आधुनिक शोध

मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव

हालांकि नवग्रह स्तोत्रम् को पारंपरिक एवं धार्मिक दृष्टिकोण से देखा जाता है, परन्तु आधुनिक शोध में भी यह पाया गया है कि नियमित उच्चारण एवं ध्यान करने से मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। अध्ययन बताते हैं कि मंत्रों का जप करने से मस्तिष्क में सकारात्मक हार्मोन का संचार होता है, जिससे तनाव एवं अवसाद में कमी आती है।

ऊर्जा का संचार एवं सकारात्मक प्रभाव

जब हम नवग्रह स्तोत्रम् का पाठ करते हैं, तो उसकी ध्वनि तरंगें हमारे मस्तिष्क और शारीरिक ऊतकों में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं। यह वैज्ञानिक रूप से भी प्रमाणित हुआ है कि नियमित ध्यान एवं मंत्र उच्चारण से शरीर में ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है और व्यक्ति में नयी उमंग एवं उत्साह का संचार होता है।

व्यक्तिगत अनुभव एवं प्रमाण

भक्तों के अनुभव

अनेक भक्तों ने बताया है कि नवग्रह स्तोत्रम् का नियमित पाठ करने से उनके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन आए हैं। व्यापार में उन्नति, परिवारिक कलह का निवारण, और मानसिक शांति – इन सभी क्षेत्रों में सुधार का अनुभव उन्होंने किया है। जो भी व्यक्ति इस स्तोत्र का सच्चे मन से पाठ करता है, वह न केवल आर्थिक, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी सशक्त हो जाता है।

कहानियाँ और अनुभव

कुछ भक्तों के अनुसार, उनके घर में जहां नियमित रूप से नवग्रह स्तोत्रम् का पाठ होता था, वहाँ के वातावरण में हमेशा सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती थी। परिवार में सदस्यों के बीच आपसी प्रेम एवं सहयोग बढ़ता था और किसी भी प्रकार की नकारात्मकता का प्रभाव नहीं पड़ता था। इन कहानियों से यह सिद्ध होता है कि नवग्रह स्तोत्रम् एक जीवन बदल देने वाला अनुभव है।

नवग्रह स्तोत्रम् के पाठ के लिए सुझाव एवं टिप्स

पाठ की तैयारी

  1. शारीरिक एवं मानसिक शुद्धता:
    • पाठ से पहले स्नान करें, साफ-सुथरे वस्त्र पहनें एवं एक शांत वातावरण में बैठें।
    • ध्यान करें कि आपका मन पूरी तरह से शांत एवं एकाग्र हो।
  2. साधना के उपकरण:
    • दीपक, अगरबत्ती, पुष्प एवं तुलसी का पत्ता अपने पास रखें।
    • इन सामग्रियों का उपयोग वातावरण को पवित्र बनाने और देवी के आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करता है।
  3. स्थिर मनोबल:
    • पाठ के दौरान अपने मन को स्थिर रखें, विचारों को भटकने न दें और पूर्ण श्रद्धा से उच्चारण करें।

पाठ के दौरान ध्यान देने योग्य बातें

  1. स्पष्ट उच्चारण:
    प्रत्येक श्लोक को स्पष्ट और सही उच्चारण के साथ पढ़ें। यह न केवल अर्थ समझने में मदद करता है, बल्कि मंत्रों के प्रभाव को भी बढ़ाता है।
  2. ध्यान एवं मनन:
    पाठ के पश्चात कुछ समय ध्यान में बिताएं, जिससे आप देवी एवं ग्रहों की दिव्यता का अनुभव कर सकें।
  3. प्रतिदिन का नियमित अभ्यास:
    रोजाना इस स्तोत्र का पाठ करने से समय के साथ जीवन में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलते हैं।

नवग्रह स्तोत्र का नियमित पाठ करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। यह स्तोत्र न केवल नकारात्मक प्रभावों को कम करता है, बल्कि व्यक्ति के आंतरिक बल को भी बढ़ाता है। यदि आप किसी भी ग्रह से प्रभावित हैं, तो इस स्तोत्र का पाठ अवश्य करें।

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