Shiv Aarti हिन्दू धर्म में भगवान शिव की स्तुति में गाया जाने वाला एक अत्यंत पवित्र और भावपूर्ण भजन है। यह आरती भक्तों के हृदय में भक्ति, श्रद्धा और समर्पण की भावना जागृत करती है। शिव आरती को विशेष रूप से सोमवार के दिन, महाशिवरात्रि और अन्य शिव पूजा अवसरों पर गाया जाता है।
शिव आरती में भगवान शिव के विभिन्न रूपों, शक्तियों और उनके सौम्य व रौद्र दोनों स्वरूपों का वर्णन किया जाता है। यह आरती शिवजी को प्रसन्न करने, आशीर्वाद प्राप्त करने तथा जीवन से नकारात्मकता को दूर करने का एक सरल और प्रभावी माध्यम मानी जाती है।
आरती के दौरान घंटी, शंख और दीपक की लौ से वातावरण आध्यात्मिक और दिव्य बन जाता है। भक्त “ॐ जय शिव ओंकारा” के साथ भगवान को भावपूर्ण समर्पण अर्पित करते हैं। यह आरती न केवल मानसिक शांति देती है, बल्कि आत्मा को शुद्ध करने वाली ऊर्जा से भर देती है।
शिव आरती को नित्य श्रद्धा से गाने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं और आत्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है। यही शिव आरती की सबसे बड़ी महिमा है।
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज ते सोहे।
तीनो रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शुभकारी ॥ ॐ जय शिव…॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक ब्रह्मादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगपालनकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव…॥.